शनि शत्रु नहीं मित्र है !

सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।
मंदचार प्रसन्नात्मा पीडां हरंतु मे शनि !!

नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम् !
छाया मार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम् !!

प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: ।
ओम शं शनैश्चराय नम: ।

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया ।
कंटकी कलही चाथ तुरंगी महिषी अजा ।।
ओम शं शनैश्चराय नम: ।।

कोणस्थ पिंगलो वभ्रु कृष्णौ रौद्रान्तको यम: ।
सौरि शनैश्चरा मंद पिप्पलादेन संस्तुता ।।

ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: ।।
श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: ।।
क्रां क्रीं कौं स: भौमाय नम: ।।
ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ।।
ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: ।।
द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: ।।
प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: ।।
भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ।।
स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम: ।।
Gurumantra
29-01-2022

छिपी गंध कलियों को मत दफनाओं कलि के अंदर ही।

कन्याओं की प्रतिभा की हत्या, अब मत करो गर्भ में ही॥

कलियों को खिलने से पहले, मत कुचलो खिल जाने दो।

अभी न जन्मी जो कन्याएं, उन्हें भी जीवन पाने दो॥ 

Shree Shree 1008 Mahamadaleshwer

Paramhans Daati Ji Maharaj.

Last updated on 28-03-2024
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